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गृहमन्त्री श्री अमित शाह ने दो दिन पूर्व कहा ‘नमस्ते’ अभिवादन स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने हमको दिया, नहीं तो हम आज अभिवादन के लिए किसी विदेशी शब्द का प्रयोग कर रहे होते। क्या यह सत्य है? देखें इस निष्पक्ष समीक्षा में।
सन्दर्भ:
१) सत्यार्थप्रकाश ६९वाँ संस्करण, अक्टूबर २००८, आर्य साहित्य प्रचार ट्रस्ट, दिल्ली, द्वितीय समुल्लास, पृष्ठ ३८: “बड़ों को मान्य दे, उनके सामने उठ कर जाके उच्चासन पर बैठावे, प्रथम ‘नमस्ते’ करे। उनके सामने उत्तमासन पर न बैठे।”
२) सत्यार्थप्रकाश ६९वाँ संस्करण, अक्टूबर २००८, आर्य साहित्य प्रचार ट्रस्ट, दिल्ली, द्वितीय समुल्लास, पृष्ठ ८४: “यह बात सदा ध्यान में रखनी चाहिए कि पूजा शब्द का अर्थ सत्कार है और दिन-रात में जब-जब प्रथम मिलें वा पृथक् हों तब-तब प्रीतिपूर्वक ‘नमस्ते’ एक-दूसरे से करें।”
३) अभिज्ञानशाकुन्तल, अङ्क ७: नमस्ते कष्टतपसे
४) वाल्मीकि रामायण, श्लोक १.५२.१७:
सर्वथा च महाप्राज्ञ पूजार्हेण सुपूजितः।
गमिष्यामि नमस्तेऽस्तु मैत्रेणेक्षस्व चक्षुषा॥
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