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हम बचपन से औरतों को ही टीचर और नर्स की भूमिका में देखते आए हैं. ऐसे में अकसर इन्हें महिलाओं से जुड़ा पेशा ही माना जाता है. लेकिन एक सदी पहले तक ऐसा नहीं था. सौ साल पहले के भारत में जब सावित्री बाई फुले ने पहली बार टीचर बनने की कोशिश की थी तो इसका इनाम उन्हें यह मिला था कि परिवार ने उन्हें घर से ही निकाल दिया था. यह कहानी है उस महिला की जिसने भारत के समाज में लड़कियों को अपनी जगह बनानी सिखाई.
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