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लोहारी गांव के लोग मायूस और गुस्सा दोनों हैं. मायूस इसलिये कि उनके पुरखों की जमीन उनके ही सामने जल समाधि ले रही है और गुस्सा इसलिये कि बिना उचित मुआवजा दिये ही उन्हें महज 48 घंटे के भीतर गांव खाली करने का सरकारी फरमान सुना दिया गया. अब गांव में झील का पानी भरने लगा है. गांव में एक माध्यमिक स्कूल है, जिसमें महज नौ कमरे हैं. इन कमरों में गांव के बुजुर्ग और बच्चों को रखा गया है. बाकी लोग खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं. ऐसा इसलिये, क्योंकि महज 48 घंटे में गांव के लोग अपने नये ठिकाने की व्यवस्था नहीं कर पाये हैं. गांव की महिलायें अपने बच्चों का ये हाल देखकर रो रही हैं और पुरूष बैचेनी से यहां वहां देख रहे हैं.
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