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ध्यातव्य: इस चलचित्र का उद्देश्य किसी वर्ग, समुदाय अथवा मत के लोगों की भावनाएँ आहत करना नहीं है, अपितु केवल ज्ञानवर्धन है।
बौद्ध धर्म के ग्रन्थ त्रिपिटक के सुत्तपिटक में अङ्गुत्तरनिकाय के ब्राह्मणवग्गो के सोणसुत्तं में ब्राह्मणों की कुत्तों से तुलना करके कुत्तों को उस समय के ब्राह्मणों से अच्छा बताया गया है।
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In the Soṇasuttaṃ of the Brāhmaṇavaggo found in the Aṅguttaranikāya of the Suttapiṭaka text in the Buddhist scripture Tripiṭaka, Brahmins are compared to dogs and dogs are indicated to be superior to the Brahmins of that day.
(२०) ५. ब्राह्मणवग्गो
१. सोणसुत्तं
१९१. ‘‘पञ्चिमे , भिक्खवे, पोराणा ब्राह्मणधम्मा एतरहि सुनखेसु सन्दिस्सन्ति, नो ब्राह्मणेसु। कतमे पञ्च? पुब्बे सुदं [पुब्बस्सुदं (क॰)], भिक्खवे, ब्राह्मणा ब्राह्मणिंयेव गच्छन्ति, नो अब्राह्मणिं। एतरहि, भिक्खवे, ब्राह्मणा ब्राह्मणिम्पि गच्छन्ति, अब्राह्मणिम्पि गच्छन्ति। एतरहि, भिक्खवे, सुनखा सुनखिंयेव गच्छन्ति, नो असुनखिं। अयं, भिक्खवे, पठमो पोराणो ब्राह्मणधम्मो एतरहि सुनखेसु सन्दिस्सति, नो ब्राह्मणेसु।
‘‘पुब्बे सुदं, भिक्खवे, ब्राह्मणा ब्राह्मणिं उतुनिंयेव गच्छन्ति, नो अनुतुनिं। एतरहि, भिक्खवे, ब्राह्मणा ब्राह्मणिं उतुनिम्पि गच्छन्ति, अनुतुनिम्पि गच्छन्ति । एतरहि, भिक्खवे, सुनखा सुनखिं उतुनिंयेव गच्छन्ति, नो अनुतुनिं। अयं, भिक्खवे, दुतियो पोराणो ब्राह्मणधम्मो एतरहि सुनखेसु सन्दिस्सति, नो ब्राह्मणेसु।
‘‘पुब्बे सुदं, भिक्खवे, ब्राह्मणा ब्राह्मणिं नेव किणन्ति नो विक्किणन्ति, सम्पियेनेव संवासं संबन्धाय [संसग्गत्थाय (सी॰ पी॰)] संपवत्तेन्ति। एतरहि, भिक्खवे, ब्राह्मणा ब्राह्मणिं किणन्तिपि विक्किणन्तिपि, सम्पियेनपि संवासं संबन्धाय संपवत्तेन्ति। एतरहि, भिक्खवे, सुनखा सुनखिं नेव किणन्ति नो विक्किणन्ति, सम्पियेनेव संवासं संबन्धाय संपवत्तेन्ति। अयं, भिक्खवे, ततियो पोराणो ब्राह्मणधम्मो एतरहि सुनखेसु सन्दिस्सति, नो ब्राह्मणेसु।
‘‘पुब्बे सुदं, भिक्खवे, ब्राह्मणा न सन्निधिं करोन्ति धनस्सपि धञ्ञस्सपि रजतस्सपि जातरूपस्सपि। एतरहि, भिक्खवे, ब्राह्मणा सन्निधिं करोन्ति धनस्सपि धञ्ञस्सपि रजतस्सपि जातरूपस्सपि। एतरहि, भिक्खवे, सुनखा न सन्निधिं करोन्ति धनस्सपि धञ्ञस्सपि रजतस्सपि जातरूपस्सपि। अयं, भिक्खवे, चतुत्थो पोराणो ब्राह्मणधम्मो एतरहि सुनखेसु सन्दिस्सति, नो ब्राह्मणेसु।
‘‘पुब्बे सुदं, भिक्खवे, ब्राह्मणा सायं सायमासाय पातो पातरासाय भिक्खं परियेसन्ति। एतरहि, भिक्खवे, ब्राह्मणा यावदत्थं उदरावदेहकं भुञ्जित्वा अवसेसं आदाय पक्कमन्ति। एतरहि, भिक्खवे, सुनखा सायं सायमासाय पातो पातरासाय भिक्खं परियेसन्ति। अयं, भिक्खवे, पञ्चमो पोराणो ब्राह्मणधम्मो एतरहि सुनखेसु सन्दिस्सति, नो ब्राह्मणेसु। इमे खो, भिक्खवे, पञ्च पोराणा ब्राह्मणधम्मा एतरहि सुनखेसु सन्दिस्सन्ति, नो ब्राह्मणेसू’’ति। पठमं।
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