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राम जन्म भूमि पर केंद्रित राम पुनियानी का एक वक्तव्य सुन रहा था, वे कहते हैं कि रामचारित मानस जैसे अद्वितीय ग्रंथ के रचयिता तुलसीदास, मुगल सम्राट बाबर के समकालीन थे। राम पुनियानी का प्रश्न है कि यदि बाबर के आदेश पर मीर बाकी ने मंदिर को तोड़ कर उसपर बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया था, तो तुलसीदास ने मंदिर ध्वंस की घटना पर कुछ क्यों नहीं लिखा? पुनियानी अकेले नहीं हैं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का भी अदालती प्रकरणों में यही तर्क सर्वदा रहा था कि यदि मंदिर को तोड़ा गया था तो उसका उल्लेख गोस्वामी तुलसी दास ने अपने साहित्य में क्यों नहीं किया। यह प्रश्न महत्वपूर्ण है और इसपर हम चर्चा करेंगे लेकिन विषय पर गहरे उतरने से पहले हमें जानना होगा कि प्रश्न उठाने वाले क्या साहित्य क्यों और कैसे लिखा जाता है, इससे परिचित भी हैं?